Add To collaction

मेरी गाँव की यात्रा

पगडंडियों से जब चली बैंलगाँडी मे बैठकर मै और दिखे लहलहाते खेत खलिहान ,सिर पर रखे गठरी चले जा रहे थे किसान ।मानो असली भारत यही है ।श्रमशील भारत ।थोडी दूर चलने पर जब मेरा गला सूखने लगा और कुँये का शीतल पानी पिया जैसे अमृत पान किया है ।तभी छोटे छोटे दरवाजो के मिटटी के घर दिखाई दिये ,जो चूने से पुते थे ।छोटे छोटे दौनो तरफ आले बने थे उनमे रंगो से सुन्दर आकृति बनी थी ।पास मे एक अम्मा जी आती दिखाई दी उनसे पूछाँ मैने ,,रामदेव जी का घर कहाँ है ,बह बडे प्यारे से बोली ,बबुआ कहा से आवत हो ,चलो हमाय संगे हमय तोहे घर तक पहुँचा देत है ,निगत रहो संगे संगे ।हम चल दिये उनके पीछे पीछे ,उनकी गाँव की मधुर वाणी बहुत प्यारी लग रही थी और मन मे मिश्री सी घुल रही थी ।हमने पूछाँ अम्मा जी आप अपने बारे मे कुछ बताइये हमे ,मै जानना चाहँता हूँ ।
बह मुस्करायी मेरी ओर देखते हुये और बोली ,हम का बताय अपन बारे मे बबुआ ,पास के खेत मे काम करत है और बाल बच्चन को गाँव के स्कूल मे पढावत है ।चलो बबुआ हम तोहार पूरो गाँव घुमा दैवे ।आजाओ ,बबुआ ,ठीक है अम्मा जी ।
इतै देखो जो मशीन लगी है जासे हम जानवरन के लाने घास काटत है ।और सानी करके उन्हे खिलावत है ताकि कुल दूध देती है ।जोई तो हमाई आमदनी को साधन है ।भोर सबेरे उठत जब जाके काम निपटत सब ।चूल्हे पर रोटी साग बना के ,कलेवा कर के खेतन मे आ जात है दिन भर बीत जात है ।लो बबुआ तुम जा खटिया पर बैठ जाओ हम तुमाय लाने छाछ लावत है ।सत्तू खावत हो तुम ।
ये क्या होता है ।अरे तुम शहरन बाले कछु नही जानत हो ,जो तीन अन्न को बनो और सिको सुपाच्य कलेवा है ।चना ,जौ ,आदि से बनत है ।चलो खबा देते आज तोहे बबुआ ।खुली हवा मे तुम इन पक्षियो को देखो ,हम आवत है ।
जब हम उस खटिया पर बैठे बहाँ की शुद्व हवा और हरियाली देखी तो मंत्रमुग्ध हो गया ।वास्तविक जीवन यही है ।कोयल की आवाज सुनायी दे रही थी ।हँसते ठिठोली करते लोग और गुनगुनाती महिलाये बहुत मन को भा रही थी ।तभी अम्मा आ जाती है ।
लो बबुआ छाँछ और सत्तु खा लो ,तनिक बताओ हमे कैसो लगो खा के ।
हाँ अम्मा जी जरूर ।मैने खाया सत्तू और छाँछ पीकर जो लगा बह शब्दो मे बयां नही कर सकता हूँ ।कितना स्वादिष्ट कलेवा लगा ।जो शहरो मे मिलता ही नही ।अम्मा बहुत ही अच्छा लगा आपका ये कलेवा हमे तो ।
सही कहात बबुआ ,,चलो गाँव मे मेला लगो है तोय दिखा दे हम ,फिर रामदेव के घरे ले चले ।ठीक है अम्मा जी ।
मेला मे लकडी के चार खन के झूँला ।जो एक आदमी झुलाता है और चारो पलडे झूलते है ।गुड की पट्टी, रंगबिरंगी मिठाई चूडी बिंदी ,बेचते ठेले ,गुडिया के बाल ।तभी अम्मा बोली ये बबुआ,लो बरफ के गोले खा लो जामे शरबत डाल के बहुत ही नीको लगत है ।खाय को देखो ।और मुरमुरे के लड्डू भी खाय लो जो इतै के प्रसिद्ध है बबुआ ।
जब सब खा लिये तो जो आनन्द आया बह कह नही सकते है ।गाँव की खुश्वू से मन तरोताजा हो गया था ।मटका का पानी पिया और अम्मा से कहा चले रामदेव जी के घर ।

मेरी गाँव की यात्रा

अम्मा जी बोली ,हाँ बबुआ चलत है ।चलते चलते पहुँचे रामदेव जी के घर हम ।तभी अम्मा ने कहा , किवाडे खोलो तनिक देखो हम तुहार पाहुन लाये है ।अबेर ना करो ।तभी एक महिला लम्बा घूघँट डाले आती है और कहती है ,राम राम बबुआ ,पधारो मोय घरे ।मैने कहा रामदेव जी से मिलना है हमे ,आवत है तनिक बैठो ,सुस्ता लो ।तभी बीजना से पंखा करती है बह महिला हमे ।अम्मा जी राम राम कहती जाती है तभी मेरे मन मे पैर छूने का विचार आता है और हम अम्मा के पैर छूँ लेते है ।अरे बबुआ का करत हो तुम बडे शहर के होके भी संस्कारी हो ।खूब खुशी रहो खूब जुग जुग जीयत रहो ।
और अम्मा चली जाती है हमे रामदेव के घर छोडकर ।तभी रामदेव धोती कुर्ता मे आते है ।
मैअपना परिचय देता हूँ और कहता हूँ ये पत्र मेरे पिताजी ने आपके लिये भेजा है ।
रामदेव जी जब पत्र पढते है तो खिलखिलाकर हँसते है ।हँसते हुये उनके आँसू निकलते है ,और तेज आवाज मे कहते है 
अरे तम हमाय लगोटिया यार के बबुआ हो ,जो बर्षो पहले शहर चलो गयो तो हमे छोड के ,जो हम कवहूँ नही भूल पाये ।हमाओ दोस्त ऐसो शहर जा बसो फिर इतै आओ नही ।
चलो बबुआ हम तुम्हे गाँव की सैर करा दे ।
चल देते है खेतो की मेढो पर ,पनघट पर ,सरसो काटते किसान और गीत गाती पनहारिन जो मटके पर मटका रखे रहती है ।चूल्हे का भोजन ,चौपाल पर बैठे दोस्त ।सब बहुत ही मनोहर लगता है ।जैसे यही भारत है ।और अगले दिन हम चाचा जी से विदा लेते हुये गाँव से चल देते है ।लेकिन ह्मदय बही छूँट जाता है ।पूरी उम्र का सबसे सुखद यात्रा यही रही मेरे लिये ।और सोच लिया मन मे जब नौकरी से सेवानिवृत्त हो जायेगे तो गाँव मे आकर रहेगे ,ताजी हवा मे संध्या काल का जीवन व्यतीत करेगे ।जो धरती का स्वर्ग है ।गाँव की सादगी सुकून भरी होती है ।तन मन स्वस्थ प्रसन्न रहता है ।

   5
3 Comments

NEELAM GUPTA

16-Mar-2021 06:53 PM

आपके साथ वहाँ की भोली मधुर वाणी व्यवहार और सुन्दर गाँव घूमा हमने भी।

Reply

Shilpa modi

16-Mar-2021 03:59 PM

बहुते सुंदर लगा हमका आपका गाँव

Reply

Meenakshi sharma

15-Mar-2021 09:50 PM

उत्कृष्ट रचना गाँव का साक्षात दर्शन करा दिये आपने 👌👌👌✍️

Reply